वीरानी Poetry

मकान ख़ाली है

अज़ीज़ क़ैसी

इश्क़ से इज्तिनाब कर लेना

हामिद इक़बाल सिद्दीक़ी

मुझे तुम शोहरतों के दरमियाँ गुमनाम लिख देना

ज़ुबैर रिज़वी

बिछड़ते दामनों में फूल की कुछ पत्तियाँ रख दो

ज़ुबैर रिज़वी

कहाँ का सब्र सौ सौ बार दीवानों के दिल टूटे

ज़िया जालंधरी

चाँद ही निकला न बादल ही छमा-छम बरसा

ज़िया जालंधरी

क़सम उस बदन की

ज़ाहिद हसन

आइना देखें न हम अक्स ही अपना देखें

ज़फ़र इक़बाल ज़फ़र

फिर कोई शक्ल नज़र आने लगी पानी पर

ज़फ़र इक़बाल

इक नदी में सैकड़ों दरिया की तुग़्यानी मिली

ज़फर इमाम

लबों तक आया ज़बाँ से मगर कहा न गया

यज़दानी जालंधरी

दाग़-हा-ए-दिल की ताबानी गई

याक़ूब अली आसी

धार सी ताज़ा लहू की शबनम-अफ़्शानी में है

वज़ीर आग़ा

तख़्त जिस बे-ख़ानमाँ का दस्त-ए-वीरानी हुआ

वली मोहम्मद वली

अजब सी आज-कल मैं इक परेशानी में हूँ यारो

विनीत आश्ना

दश्त की ख़ाक भी छानी है

विकास शर्मा राज़

दश्त की ख़ाक भी छानी है

विकास शर्मा राज़

हो तिरा इश्क़ मिरी ज़ात का मेहवर जैसे

उरूज ज़ेहरा ज़ैदी

कम न थी सहरा से कुछ भी ख़ाना-वीरानी मिरी

तिलोकचंद महरूम

बाक़ी सब कुछ फ़ानी है

तारिक़ राशीद दरवेश

ये वीरानी सी यूँही तो नहीं रहती है आँखों में

तारिक़ नईम

अगर कुछ भी मिरे घर से दम-ए-रुख़्सत निकलता है

तारिक़ नईम

दरिया में तुग़्यानी है

तनवीर गौहर

बंद दरीचों के कमरे से पूर्वा यूँ टकराई है

ताज सईद

मिट गए हाए मकीं और मकान-ए-देहली

तफ़ज़्ज़ुल हुसैन ख़ान कौकब देहलवी

घर की वीरानी को क्या रोऊँ कि ये पहले सी

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

आशिक़-ए-हक़ हैं हमीं शिकवा-ए-तक़दीर नहीं

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

हम से पहले तो कोई यूँ न फिरा आवारा

सय्यद मुनीर

वज़ीर का ख़्वाब

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

बस का सफ़र

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

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