समय Poetry

अब शहर में कहाँ रहे वो बा-वक़ार लोग

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

मेरे आसमान के चाँद को ख़बर दो

मर्यम तस्लीम कियानी

पतझड़ का मौसम था लेकिन शाख़ पे तन्हा फूल खिला था

बिमल कृष्ण अश्क

कैसे समझेगा सदफ़ का वो गुहर से रिश्ता

अख़्तर हाशमी

सुब्ह-ए-सादिक़

दर्शन सिंह

ज़ब्त की हद से भी जिस वक़्त गुज़र जाता है

शौक़ मुरादाबादी

न तीरगी के लिए हूँ न रौशनी के लिए

ऐन सलाम

मुद्दतों बा'द वो गलियाँ वो झरोके देखे

महमूद शाम

क्या मैं जुगनू को आफ़्ताब करूँ

तरुणा मिश्रा

राहत-ए-नज़र भी है वो अज़ाब-ए-जाँ भी है

महमूद शाम

प्यार का यूँ दस्तूर निभाना पड़ता है

वलीउल्लाह वली

अब तक तो यही पता नहीं है

बिमल कृष्ण अश्क

हमारे सर पे तब कोई जहाँ होता नहीं था

आशू मिश्रा

मौजों की साज़िशों ने किनारा नहीं दिया

वफ़ा नक़वी

कई लम्हे

फ़ैसल हाश्मी

बेचैनी

दौर आफ़रीदी

यौम-ए-जम्हूर

चरख़ चिन्योटी

ढोल वाला

बुशरा सईद

बीते हुए कल का इंतिज़ार

एहतिशाम अख्तर

मोहब्बत पर यक़ीं था जब

हमीदा शाहीन

पहचान

फ़ैसल हाश्मी

जिस्म से आगे की मंज़िल

फ़ैसल हाश्मी

ख़्वाब

बहार बन के जब से वो मिरे जहाँ पे छाए हैं

दिल महव-ए-तमाशा-ए-लब-ए-बाम नहीं है

हर वो हंगामा ना-गहाँ गुज़रा

मुझे ज़मान-ओ-मकाँ की हुदूद में न रख

ज़ुल्फ़िकार नक़वी

बे-मुरव्वत हैं तो वापस ही उठा ले शब-ओ-रोज़

ज़ुल्फ़िकार नक़वी

ज़िंदगी आज़ार थी आज़ार है तेरे बग़ैर

ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

ज़िंदगी आज़ार थी आज़ार है तेरे बग़ैर

ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

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