ज़ुल्फ़ Poetry

ये जहान-ए-आब-ओ-गिल लगता है इक माया मुझे

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

फ़ुग़ाँ के साथ तिरे राहत-ए-क़रार चले

पेच दे ज़ुल्फ़-ए-अम्बरीं न कहीं

ज़ेबा

एक किरन बस रौशनियों में शरीक नहीं होती

ज़ेब ग़ौरी

बहार कौन सी तुझ में जमाल-ए-यार न थी

ज़ेब ग़ौरी

क़ैस कहता था यही फ़िक्र है दिन-रात मुझे

ज़रीफ़ लखनवी

ज़मीन-ए-इश्क़-ओ-वफ़ा पे उड़ती हिकायतें भी नई नहीं हैं

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

वो तिरी ज़ुल्फ़ का साया हो कि आग़ोश तिरा

ज़की काकोरवी

तुम अपनी ज़ुल्फ़ से पूछो मिरी परेशानी

ज़ैनुल आब्दीन ख़ाँ आरिफ़

वहशत में याद आए है ज़ंजीर देख कर

ज़ैनुल आब्दीन ख़ाँ आरिफ़

उस पे करना मिरे नालों ने असर छोड़ दिया

ज़ैनुल आब्दीन ख़ाँ आरिफ़

ना-तवानी में पलक को भी हिलाया न गया

ज़ैनुल आब्दीन ख़ाँ आरिफ़

न पर्दा खोलियो ऐ इश्क़ ग़म में तू मेरा

ज़ैनुल आब्दीन ख़ाँ आरिफ़

बड़े दिल-कश हैं दुनिया के ख़म ओ पेच

ज़हीर काश्मीरी

तिरी चश्म-ए-तरब को देखना पड़ता है पुर-नम भी

ज़हीर काश्मीरी

शब-ए-ग़म याद उन की आ रही है

ज़हीर काश्मीरी

हमराह लुत्फ़-ए-चश्म-ए-गुरेज़ाँ भी आएगी

ज़हीर काश्मीरी

इक शख़्स रात बंद-ए-क़बा खोलता रहा

ज़हीर काश्मीरी

इक शख़्स रात बंद-ए-क़बा खोलता रहा

ज़हीर काश्मीरी

सख़्त दुश्वार है पहलू में बचाना दिल का

ज़हीर देहलवी

निगाह-ए-हुस्न-ए-मुजस्सम अदा को छूते ही

ज़फ़र मुरादाबादी

ईमाँ के साथ ख़ामी-ए-ईमाँ भी चाहिए

ज़फ़र इक़बाल

जब भी माज़ी के नज़ारे को नज़र जाएगी

ज़फ़र अंसारी ज़फ़र

सुख़नवरान-ए-अहद से ख़िताब

ज़फ़र अली ख़ाँ

तिरे फ़िराक़ में घुटनों चली है तन्हाई

ज़फ़र अहमद परवाज़

वो मेरी जान है दिल से कभी जुदा न हुआ

यूसुफ़ ज़फ़र

तामीर-ए-ज़िंदगी को नुमायाँ किया गया

यूसुफ़ ज़फ़र

क़ैद-ए-उल्फ़त का मज़ा ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर में है

यूनुस ग़ाज़ी

सूरज के साथ साथ उभारे गए हैं हम

यज़दानी जालंधरी

ज़ंजीर ज़ुल्फ़-ए-सियाह समुंदर निगाह-ए-शोख़

यासीन ज़मीर

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