आख़िर वो इज़्तिराब के दिन भी गुज़र गए

आख़िर वो इज़्तिराब के दिन भी गुज़र गए

जब दिल-ए-हरीफ़-ए-आतिश-ए-क़हर-ओ-इताब था

जाँ दोस्तों की चारागरी से लबों पे थी

सर दुश्मनों की संग-ज़नी से अज़ाब था

दामन-ए-सगान कू-ए-मोहब्बत से तार तार

चेहरा ख़राश-ए-दस्त-ए-जुनूँ से ख़राब था

वाँ ए'तिमाद-ए-मश्क़-ए-सियासत की हद न थी

याँ ए'तिबार-ए-नाला-ए-दिल बे-हिसाब था

हर बात सूफ़ियों की तरह पेच-ओ-ख़म लिए

हर लफ़्ज़ शाइरों की तरह इंतिख़ाब था

हर जल्वा एक दफ़्तर आशोब-ए-रोज़गार

हर ग़म्ज़ा इलम-ए-फ़ित्ना-गरी की किताब था

ख़्वाबीदा हर नज़र में बनाए फ़साद-ए-ख़ल्क़

पोशीदा हर रविश में नया इंक़लाब था

आज इस ग़ज़ल में हम पे क़यामत गुज़र गई

क्या गर्मी-ए-ख़याल थी क्या इल्तिहाब था

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In Hindi By Famous Poet Varis Kirmani. is written by Varis Kirmani. Complete Poem in Hindi by Varis Kirmani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.