जो गिरफ़्तार तुम्हारा है वही है आज़ाद
जिस को आज़ाद करो तुम कभी आज़ाद न हो
Rahat Indori
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Habib Jalib
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ज़ब्त की कोशिश है जान-ए-ना-तवाँ मुश्किल में है
सच कहा है कि ब-उम्मीद है दुनिया क़ाइम
जुदा करेंगे न हम दिल से हसरत-ए-दिल को
ऐ अहल-ए-वफ़ा ख़ाक बने काम तुम्हारा
किसी सूरत से उस महफ़िल में जा कर
हम ने आलम से बेवफ़ाई की
आज़ाद उस से हैं कि बयाबाँ ही क्यूँ न हो
तू है और ऐश है और अंजुमन-आराई है
आग़ाज़ से ज़ाहिर होता है अंजाम जो होने वाला है
मैं ने माना काम है नाला दिल-ए-नाशाद का
मिरे तो दिल में वही शौक़ है जो पहले था
दिल तोड़ दिया तुम ने मेरा अब जोड़ चुके तुम टूटे को