बे-मुरव्वत हो बेवफ़ा हो तुम
अपने मतलब के आश्ना हो तुम
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लजयाई से नाज़ुक है ऐ जान बदन तेरा
हाल-ए-दिल ऐ बुतो ख़ुदा जाने
कमर धोका दहन उक़्दा ग़ज़ाल आँखें परी चेहरा
मुझी को वाइज़ा पंद-ओ-नसीहत
सुन रक्खो उसे दिल का लगाना नहीं अच्छा
उल्फ़त ने तिरी हम को तो रक्खा न कहीं का
गर्मियाँ शोख़ियाँ किस शान से हम देखते हैं
सहे ग़म पए रफ़्तगाँ कैसे कैसे
इश्क़ से कुछ काम ने कुछ कू-ए-जानाँ से ग़रज़
यही तशवीश शब-ओ-रोज़ है बंगाले में
दिखाते हैं जो ये सनम देखते हैं
याद में अपने यार-ए-जानी की