वाली आसी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का वाली आसी

वाली आसी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का वाली आसी
नामवाली आसी
अंग्रेज़ी नामWali Aasi
जन्म स्थानLucknow

ज़माना और अभी ठोकरें लगाए हमें

वहाँ हमारा कोई मुंतज़िर नहीं फिर भी

उन्हें भी जीने के कुछ तजरबे हुए होंगे

सब बिछड़े साथी मिल जाएँ मुरझाएँ चेहरे खिल जाएँ

मुसल्ला रखते हैं सहबा-ओ-जाम रखते हैं

मौज-ए-हवा आब-ए-रवाँ और ये ज़मीन ओ आसमाँ

मैं जिस का जवाब न दे पाऊँ

कभी भूले से भी अब याद भी आती नहीं जिन की

इश्क़ की राह में यूँ हद से गुज़र मत जाना

इश्क़ बिन जीने के आदाब नहीं आते हैं

इस तरह रोज़ हम इक ख़त उसे लिख देते हैं

हम ख़ून की क़िस्तें तो कई दे चुके लेकिन

हम हार गए तुम जीत गए हम ने खोया तुम ने पाया

हमें तेरे सिवा इस दुनिया में किसी और से क्या लेना-देना

हमें अंजाम भी मालूम है लेकिन न जाने क्यूँ

हमारे शहर में अब हर तरफ़ वहशत बरसती है

ग़म के रिश्तों को कभी तोड़ न देना 'वाली'

सिगरटें चाय धुआँ रात गए तक बहसें

आज तक जो भी हुआ उस को भुला देना है

यूँ तो हँसते हुए लड़कों को भी ग़म होता है

वो सूरतें जो बड़ी शोख़ हैं सजीली हैं

तुझ से बिछड़ के यूँ तो बहुत जी उदास है

सुनो ये ग़म की सियह रात जाने वाली है

फूल से मासूम बच्चों की ज़बाँ हो जाएँगे

फूल से मासूम बच्चों की ज़बाँ हो जाएँगे

फिर वही रेग-ए-बयाबाँ का है मंज़र और हम

मिल भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं

मैं जब छोटा सा था काग़ज़ पे ये मंज़र बनाता था

क्या हिज्र में जी निढाल करना

कुछ दिन तिरा ख़याल तिरी आरज़ू रही

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