ख़ुशी दामन-कशाँ है दिल असीर-ए-ग़म है बरसों से

ख़ुशी दामन-कशाँ है दिल असीर-ए-ग़म है बरसों से

हमारी ज़िंदगी का एक ही आलम है बरसों से

सितम है आँसुओं का पोंछने वाला नहीं कोई

हमारी आँख भी तर आस्तीं भी नम है बरसों से

वज़ाहत चाहता हूँ तुझ से तेरे इस इशारे की

जो पैहम मेरी जानिब है मगर मुबहम है बरसों से

रहे हम साथ भी बरसों तिरे कहलाए भी लेकिन

तुझे अपना न पाए ये ख़लिश ये ग़म है बरसों से

किसी से मुद्दआ-ए-दिल कहा हो तो ज़बाँ कट जाए

बस इक तू है जो दिल के राज़ का महरम है बरसों से

हमारी ज़िंदगी कहने की हद तक ज़िंदगी है बस

ये शीराज़ा भी देखा जाए तो बरहम है बरसों से

ख़ुशी है ऐ 'वक़ार' अब और न अरमान-ए-ख़ुशी बाक़ी

अगर कुछ है तो बस आसूदगी-ए-ग़म है बरसों से

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In Hindi By Famous Poet Waqar Manvi. is written by Waqar Manvi. Complete Poem in Hindi by Waqar Manvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.