जो तू नहीं है तो ये मुकम्मल न हो सकेंगी
तिरी यही अहमियत है मेरी कहानियों में
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जैसे हो उम्र भर का असासा ग़रीब का
मुद्दतों उस की ख़्वाहिश से चलते रहे हाथ आता नहीं
कितनी ज़ुल्फ़ें उड़ीं कितने आँचल उड़े चाँद को क्या ख़बर
हज़ारों मौसमों की हुक्मरानी है मिरे दिल पर
तुम्हारा नाम लिखने की इजाज़त छिन गई जब से
मुझे ख़बर थी कि अब लौट कर न आऊँगा
तो मैं भी ख़ुश हूँ कोई उस से जा के कह देना
दुख दर्द में हमेशा निकाले तुम्हारे ख़त
तुम मिरी आँख के तेवर न भुला पाओगे
उदास रातों में तेज़ कॉफ़ी की तल्ख़ियों में
हर एक मौसम में रौशनी सी बिखेरते हैं