तुम्हारा नाम लिखने की इजाज़त छिन गई जब से
कोई भी लफ़्ज़ लिखता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Javed Akhtar
Rahat Indori
Anwar Masood
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Jaun Eliya
Gulzar
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(10352) Peoples Rate This
तुम मिरी आँख के तेवर न भुला पाओगे
जो तू नहीं है तो ये मुकम्मल न हो सकेंगी
दुख दर्द में हमेशा निकाले तुम्हारे ख़त
हर इक मुफ़लिस के माथे पर अलम की दास्तानें हैं
कौन कहता है मुलाक़ात मिरी आज की है
उदास रातों में तेज़ कॉफ़ी की तल्ख़ियों में
तो मैं भी ख़ुश हूँ कोई उस से जा के कह देना
जैसे हो उम्र भर का असासा ग़रीब का
मुझे ख़बर थी कि अब लौट कर न आऊँगा
कैसा मफ़्तूह सा मंज़र है कई सदियों से
इस जुदाई में तुम अंदर से बिखर जाओगे