क़दम यूँ बे-ख़तर हो कर न मय-ख़ाने में रख देना

क़दम यूँ बे-ख़तर हो कर न मय-ख़ाने में रख देना

बहुत मुश्किल है जान ओ दिल को नज़राने में रख देना

सुना है हज़रत-ए-वाइज़ इधर तशरीफ़ लाएँगे

ज़रा उस कासा-ए-गर्दूं को मय-ख़ाने में रख देना

बुतों के दिल में यूँ शायद ख़ुदा का ख़ौफ़ पैदा हो

ये मेरे दिल के टुकड़े जा के बुत-ख़ाने में रख देना

यहाँ ऐ दिल फ़रिश्तों का भी ज़ोहरा आब होता है

क़दम आसाँ नहीं उल्फ़त के वीराने में रख देना

चला है घर को दीवाना उड़ा कर ख़ाक सहरा की

ग़ुबार-ए-ख़ातिर-ए-अहबाब काशाने में रख देना

ज़ियारत को वो दश्त-ए-नज्द का जाँ-बाज़ आएगा

ज़रा दम-भर को मेरी नाश वीराने में रख देना

ब-फ़ैज़-ए-हज़रत-ए-नासेह हुई तौफ़ीक़ तौबा की

मिरा जाम-ए-शिकस्ता उन के शुक्राने में रख देना

मुनाफ़ी था ये ऐ मंसूर दस्तूर-ए-अमानत के

किसी की बात को यूँ अपने बेगाने में रख देना

पिलाई है जो 'वासिफ़' को मय-ए-मर्द-आज़मा साक़ी

तो कुछ शान-ए-ख़ुदी भी अपने दीवाने में रख देना

(541) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Wasif Dehlvi. is written by Wasif Dehlvi. Complete Poem in Hindi by Wasif Dehlvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.