सफ़ेद फूल मिले शाख़-ए-सीम-बर के मुझे

सफ़ेद फूल मिले शाख़-ए-सीम-बर के मुझे

ख़िज़ाँ को कुछ न मिला बे-लिबास कर के मुझे

थी दश्त-ए-ख़्वाब में इक तेरी जुस्तुजू मुझ को

कि तुझ से शिकवे हज़ारों थे उम्र-भर के मुझे

मैं अपने नाम की तख़्ती में था शरीर हवा

गली में फेंक गई बे-निशान कर के मुझे

अब इस नगर में तो कुछ भी नहीं है रुक जाओ

सदाएँ देते फिरो गे घरों से डर के मुझे

मुझे यक़ीं न मिली तुझ को दौलत-ए-बेदार

मुझे ये वहम मिले ढेर सीम-ओ-ज़र के मुझे

कभी गले न लगाया मुझे मगर फिर भी

तवाफ़ करने पड़े शहर-ए-बे-समर के मुझे

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In Hindi By Famous Poet Wazir Agha. is written by Wazir Agha. Complete Poem in Hindi by Wazir Agha. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.