सिखा दिया है ज़माने ने बे-बसर रहना

सिखा दिया है ज़माने ने बे-बसर रहना

ख़बर की आँच में जल कर भी बे-ख़बर रहना

सहर की ओस से कहना कि एक पल तो रुके

कि ना-पसंद है हम को भी ख़ाक पर रहना

तमाम उम्र ही गुज़री है दस्तकें सुनते

हमें तो रास न आया ख़ुद अपने घर रहना

वो ख़ुश-कलाम है ऐसा कि उस के पास हमें

तवील रहना भी लगता है मुख़्तसर रहना

सफ़र अज़ीज़ हवा को मगर अज़ीज़ हमें

मिसाल-ए-निकहत-ए-गुल उस का हम-सफ़र रहना

शजर पे फूल तो आते रहे बहुत लेकिन

समझ में आ न सका उस का बे-समर रहना

अजीब तर्ज़-ए-तकल्लुम है उस की आँखों का

ख़मोश रह के भी लफ़्ज़ों की धार पर रहना

वरक़ वरक़ न सही उम्र-ए-राएगाँ मेरी

हवा के साथ मगर तुम न उम्र भर रहना

ज़रा सी ठेस लगी और घर को ओढ़ लिया

कहाँ गया वो तुम्हारा नगर नगर रहना

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In Hindi By Famous Poet Wazir Agha. is written by Wazir Agha. Complete Poem in Hindi by Wazir Agha. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.