वो परिंदा है कहाँ शब को चहकने वाला

वो परिंदा है कहाँ शब को चहकने वाला

रात-भर नाफ़ा-ए-गुल बन के महकने वाला

लुक्का-ए-अब्र था बस देखने आया था मुझे

कोई बादल तो नहीं था वो छलकने वाला

राख में आँख में फूलों पे कसीली शब में

बे-ज़रूरत भी तो चमका है चमकने वाला

किस की आवाज़ में है टूटते पत्तों की सदा

कौन इस रुत में है बे-वज्ह सिसकने वाला

चाँद हो रोज़ बदलते हो तुम्हारा क्या है

मैं समुंदर हूँ अबद तक न बहकने वाला

पी लिया लौट गया ख़ुश्क हुआ कुछ तो बता

क्या हुआ आँख से आँसू वो टपकने वाला

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In Hindi By Famous Poet Wazir Agha. is written by Wazir Agha. Complete Poem in Hindi by Wazir Agha. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.