अब तो आराम करें सोचती आँखें मेरी
रात का आख़िरी तारा भी है जाने वाला
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(571) Peoples Rate This
सितारा तो कभी का जल-बुझा है
ख़ुद से हुआ जुदा तो मिला मर्तबा तुझे
थकन
बंद उस ने कर लिए थे घर के दरवाज़े अगर
तिरा ही रूप नज़र आए जा-ब-जा मुझ को
मुसाफ़िर चलते रहते हैं
दीवार-ए-गिर्या
ये किस हिसाब से की तू ने रौशनी तक़्सीम
वो परिंदा है कहाँ शब को चहकने वाला
ज़ात के रोग में
बे-सदा दम-ब-ख़ुद फ़ज़ा से डर
कोह-ए-निदा