उस की आवाज़ में थे सारे ख़द-ओ-ख़ाल उस के
वो चहकता था तो हँसते थे पर-ओ-बाल उस के
Parveen Shakir
Anwar Masood
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Gulzar
Rahat Indori
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1149) Peoples Rate This
चुटकी भर रौशनी
तुम्हें ख़बर भी न मिली और हम शिकस्ता-हाल
उम्मीद
अजब तरह से गुज़ारी है ज़िंदगी हम ने
लाज़िम कहाँ कि सारा जहाँ ख़ुश-लिबास हो
आहिस्ता बात कर कि हवा तेज़ है बहुत
सिखा दिया है ज़माने ने बे-बसर रहना
कोह-ए-निदा
पेश-गोई
किस किस से न वो लिपट रहा था
आवेज़िश
अजनबी