का'बा नहीं कि सारी ख़ुदाई को दख़्ल हो
दिल में सिवाए यार किसी का गुज़र नहीं
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ज़ंजीर से होने का नहीं दिल भारी
न संग-ए-मील न नक़्श-ए-क़दम न बाँग-ए-जरस
दुनिया के साथ दीन की बेगार अल-अमाँ
दुनिया से अलग जा के कहीं सर फोड़ो
वहशत थी हम थे साया-ए-दीवार-ए-यार था
ख़ुदा ही जाने 'यगाना' मैं कौन हूँ क्या हूँ
उम्मीद-ओ-बीम ने मारा मुझे दो-राहे पर
देखूँ कब तक गुलों की ये तिश्ना-लबी
हाँ ऐ दिल-ए-ईज़ा-तलब आराम न ले
यार है आइना है शाना है
वही साक़ी वही साग़र वही शीशा वही बादा
देखे हैं बहुत चमन उजड़ते बस्ते