यूसुफ़ को उस अंजुमन में क्या ढूँढता है
हंगामा-ए-मा-ओ-मन में क्या ढूँढता है
नैरंग-ए-तमाशा है हिजाब-ए-मा'नी
तस्वीर के पैरहन में क्या ढूँढता है
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दामन-ए-क़ातिल जो उड़ उड़ कर हवा देने लगे
ख़ुदा जाने अजल को पहले किस पर रहम आएगा
चलता नहीं फ़रेब किसी उज़्र-ख़्वाह का
साक़ी मैं देखता हूँ ज़मीं आसमाँ का फ़र्क़
दर्द अपना कुछ और है दवा है कुछ और
क्यूँ किसी से वफ़ा करे कोई
मुझे दिल की ख़ता पर 'यास' शरमाना नहीं आता
ऐसा न हो हक़ का सामना हो जाए
उदासी छा गई चेहरे पे शम-ए-महफ़िल के
आप में क्यूँकर रहे कोई ये सामाँ देख कर
दूर से देखने का 'यास' गुनहगार हूँ मैं
वाँ नक़ाब उट्ठी कि सुब्ह-ए-हश्र का मंज़र खुला