याक़ूब आमिर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का याक़ूब आमिर
नाम | याक़ूब आमिर |
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अंग्रेज़ी नाम | Yaqoob Aamir |
सर के नीचे ईंट रख कर उम्र भर सोया है तू
सच कहियो कि वाक़िफ़ हो मिरे हाल से 'आमिर'
न समझे अश्क-फ़िशानी को कोई मायूसी
मुझे भी ख़ुद न था एहसास अपने होने का
मैं आज कल के तसव्वुर से शाद-काम तो हूँ
हर नया रस्ता निकलता है जो मंज़िल के लिए
धीरे धीरे सर में आ कर भर गया बरसों का शोर
चैन ही कब लेने देता था किसी का ग़म हमें
बज़्म में यूँ तो सभी थे फिर भी 'आमिर' देर तक
बाद-ए-नफ़रत फिर मोहब्बत को ज़बाँ दरकार है
नज़रों में कहाँ उस की वो पहला सा रहा मैं
न पूछो ज़ीस्त-फ़साना तमाम होने तक
क्या हुआ हम से जो दुनिया बद-गुमाँ होने लगी
इक ख़ला सा है जिधर देखो इधर कुछ भी नहीं
चंद घंटे शोर ओ ग़ुल की ज़िंदगी चारों तरफ़
अगरचे हाल ओ हवादिस की हुक्मरानी है
आतिश-ए-ग़म में भभूका दीदा-ए-नमनाक था