किसी ख़सारे के सौदे में हाथ आया था
सो एक क़ीमती शय में शुमार उस का है
Wasi Shah
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Gulzar
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1046) Peoples Rate This
हमें सैराब रक्खा है ख़ुदा का शुक्र है उस ने
आते रहते हैं फ़लक से भी इशारे कुछ न कुछ
मुझ को उतार हर्फ़ में जान-ए-ग़ज़ल बना मुझे
कैसे हों ख़्वाब आँख में कैसा ख़याल दिल में हो
जो चला गया सो चला गया जो है पास उस का ख़याल रख
कैसा चेहरा है रात की तफ़्सील
लम्स-ए-तिश्ना-लबी से गुज़री है
वक़्त बस रेंगता है उम्र के साथ
किसी कशिश के किसी सिलसिले का होना था
अभी से अच्छा हुआ रात सो गई वर्ना
हमें भी तजरबा है बे-घरी का छत न होने का