किसी के नर्म लहजे का क़रीना
मिरी आवाज़ में शामिल रहा है
Jaun Eliya
Gulzar
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
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हमें ख़बर थी बचाने का उस में यारा नहीं
समुंदर हो तो उस में डूब जाना भी रवा है
अगर इतनी मुक़द्दम थी ज़रूरत रौशनी की
ख़ुशी के दौर तो मेहमाँ थे आते जाते रहे
कोई पूछे मिरे महताब से मेरे सितारों से
जिस सम्त की हवा है उसी सम्त चल पड़ें
क्यूँ ढूँडने निकले हैं नए ग़म का ख़ज़ीना
जो डुबोएगी न पहुँचाएगी साहिल पे हमें
रस्ते से मिरी जंग भी जारी है अभी तक
मुसलसल एक ही तस्वीर चश्म-ए-तर में रही
उफ़ुक़ तक मेरा सहरा खिल रहा है
अपनी निगाह पर भी करूँ ए'तिबार क्या