तुम्हारे फूल ताज़ा हैं
मिरी सब उँगलियों पर उग रहे हैं
और ये शाख़ें
ये मेरी उँगलियाँ
कैसी हरी हैं
इन की शिरयानों में बहता रंग
फूलों के लबों से बह रहा है
क़तरा क़तरा
एक बे-मौसम कहानी कह रहा है
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मुझे आगही का निशाँ समझ के मिटाओ मत
पर्दा आँखों से हटाने में बहुत देर लगी
एक दीवार उठाई थी बड़ी उजलत में