यूसुफ़ ज़फ़र कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का यूसुफ़ ज़फ़र

यूसुफ़ ज़फ़र कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का यूसुफ़ ज़फ़र
नामयूसुफ़ ज़फ़र
अंग्रेज़ी नामYusuf Zafar
जन्म की तारीख1914
मौत की तिथि1972

ज़हर है मेरे रग-ओ-पै में मोहब्बत शायद

उन की महफ़िल में 'ज़फ़र' लोग मुझे चाहते हैं

थक के पत्थर की तरह बैठा हूँ रस्ते में 'ज़फ़र'

साँस लेने को ही जीना नहीं कहते हैं 'ज़फ़र'

पानी को आग कह के मुकर जाना चाहिए

है गुलू-गीर बहुत रात की पहनाई भी

हाए ये तवील ओ सर्द रातें

एक भी आफ़्ताब बन न सका

दूर हो कर भी सुनीं तुम ने हिकायात-ए-वफ़ा

बातों से सिवा होती है कुछ वहशत-ए-दिल और

आँखों में तिरे जल्वे लिए फिरते हैं हम लोग

आ मिरे चाँद रात सूनी है

वादी-ए-नील

सवाली

ख़बर

यारो हर ग़म ग़म-ए-याराँ है क़रीब आ जाओ

यारो हर ग़म ग़म-ए-याराँ है क़रीब आ जाओ

वो मेरी जान है दिल से कभी जुदा न हुआ

तामीर-ए-ज़िंदगी को नुमायाँ किया गया

शहर लगता है बयाबान मुझे

पुकारता हूँ कि तुम हासिल-ए-तमन्ना हो

पानी को आग कह के मुकर जाना चाहिए

मैं लिपटता रहा हूँ ख़ारों से

मैं हूँ तेरे लिए बेनाम-ओ-निशाँ आवारा

क्या ढूँडने आए हो नज़र में

जो हुरूफ़ लिख गया था मिरी आरज़ू का बचपन

जिस का बदन है ख़ुश्बू जैसा जिस की चाल सबा सी है

हम गरचे दिल ओ जान से बेज़ार हुए हैं

है गुलू-गीर बहुत रात की पहनाई भी

बे-तलब एक क़दम घर से न बाहर जाऊँ

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