दूर हो कर भी सुनीं तुम ने हिकायात-ए-वफ़ा
क़ुर्ब में भी वही उनवाँ है क़रीब आ जाओ
Habib Jalib
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(838) Peoples Rate This
ऐ बे-ख़बरी जी का ये क्या हाल है कल से
हम गरचे दिल ओ जान से बेज़ार हुए हैं
एक भी आफ़्ताब बन न सका
हाए ये तवील ओ सर्द रातें
तामीर-ए-ज़िंदगी को नुमायाँ किया गया
पानी को आग कह के मुकर जाना चाहिए
है गुलू-गीर बहुत रात की पहनाई भी
यारो हर ग़म ग़म-ए-याराँ है क़रीब आ जाओ
जिस का बदन है ख़ुश्बू जैसा जिस की चाल सबा सी है
जो हुरूफ़ लिख गया था मिरी आरज़ू का बचपन
उन की महफ़िल में 'ज़फ़र' लोग मुझे चाहते हैं