ज़फ़र अंसारी ज़फ़र कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ज़फ़र अंसारी ज़फ़र
नाम | ज़फ़र अंसारी ज़फ़र |
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अंग्रेज़ी नाम | Zafar Ansari Zafar |
ये जो तेरी आँखों में मा'नी-ए-वफ़ा सा है
ये दश्त-ए-शौक़ का लम्बा सफ़र अच्छा नहीं लगता
उस से मेरा तो कोई दूर का रिश्ता भी नहीं
तिरे क़रीब रहूँ या कि मैं सफ़र में रहूँ
सिरहाने बेबसी रोती रही है
मुझ को ता-उम्र तड़पने की सज़ा ही देना
मोहब्बत पे शायद ज़वाल आ रहा है
मोहब्बत की बुलंदी से कभी उतरा नहीं जाता
कभी किसी को जो देखा किसी की बाँहों में
जब भी माज़ी के नज़ारे को नज़र जाएगी
इन की नज़रों में न बन जाए तमाशा चेहरा
हर इक शय इश्तिहारी हो गई है
हालत-ए-बीमार-ए-ग़म पर जिस को हैरानी नहीं
ग़म इतने अपने दामन-ए-दिल से लिपट गए
आप की मुझ पे जब भी नवाज़िश हुई