कोई पूछे तो सही हम से हमारी रूदाद
हम तो ख़ुद शौक़ में अफ़्साना बने बैठे हैं
Gulzar
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Habib Jalib
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(986) Peoples Rate This
उन को हाल-ए-दिल-ए-पुर-सोज़ सुना कर उट्ठे
बिगड़ कर अदू से दिखाते हैं आप
फ़ित्ना-गर शोख़ी-ए-हया कब तक
आज तक कोई न अरमान हमारा निकला
इश्क़ और इश्क़-ए-शोला-वर की आग
क्यूँ किसी से वफ़ा करे कोई
दे हश्र के वादे पे उसे कौन भला क़र्ज़
भूल कर हरगिज़ न लेते हम ज़बाँ से नाम-ए-इश्क़
कुछ न कुछ रंज वो दे जाते हैं आते जाते
गेसू से अंबरी है सबा और सबा से हम
बुझाऊँ क्या चराग़-ए-सुब्ह-गाही
कुफ़्र में भी हम रहे क़िस्मत से ईमाँ की तरफ़