शब-ए-व'अदा फ़सील-ए-हिज्र से आगे चमकता है तिरा इस्म-ए-सितारा-जू
कि जैसे कोई पैवंद-ए-रिदा-ए-सुब्ह आ जाए किसी क़िंदील की ज़द में
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Anwar Masood
Jaun Eliya
Wasi Shah
Rahat Indori
Habib Jalib
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(965) Peoples Rate This
अजब क्या है रहे उस पार बहते जुगनुओं की रौशनी तहलील की ज़द में
इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी
कल रात बहुत ज़ोर था साहिल की हवा में
नाइन इलेवन
नश्र मुकर्रर
मिरे लोगो! मैं ख़ाली हाथ आया हूँ
मनफ़ी शुऊर का इक वरक़
यूँ भी होता है ख़ानदान में क्या
तुम हब्स के मौसम को ज़रा और बढ़ा लो
दार-उल-अमान के दरवाज़े पर
'अनीस-नागी' के नाम