इक जैसे हैं दुख सुख सब के इक जैसी उम्मीदें
एक कहानी सब की क्या उनवान किसी का रक्खें
Wasi Shah
Parveen Shakir
Gulzar
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Habib Jalib
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1055) Peoples Rate This
धूप सरों पर और दामन में साया है
किस क़यामत की घुटन तारी है
दुख न सहने की सज़ाओं में घिरा रहता है
मैं चुप रहा तो आँख से आँसू उबल पड़े
ये मोहब्बत है इसे देख तमाशा न बना
फाँदनी पड़ गई काँटों से भरी बाड़ हमें
'शाज़' ख़ुद में ही गँवाए हुए ख़ुद को रखना
ये अलग बात कि चलते रहे सब से आगे
खोया हुआ था हासिल होने वाला हूँ
सिर्फ़ हम ही तो नहीं टूटे हैं