ज़ेबा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ज़ेबा

ज़ेबा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ज़ेबा
नामज़ेबा
अंग्रेज़ी नामZeba

ज़ाहिद मुझे न माने-ए-शर्ब-ए-शराब हो

ये बात बात पे ज़ाहिद जो टूट जाता है

पहले क्या था जो किया करते थे तारीफ़ मिरी

नहीं है फ़ुर्सत यहीं के झगड़ों से फ़िक्र-ए-उक़्बा कहाँ की वाइ'ज़

मुझे क्यूँ आज हिचकी आ रही है

क्यूँकर करूँ मैं तर्क शराब-ओ-कबाब को

किसी महबूब-ए-गंदुम-गूँ की उल्फ़त में गुज़रते हैं

ख़ुदा की भी नहीं सुनते हैं ये बुत

जिस्म-ए-अनवर की लताफ़त की सना क्या कीजे

हुआ है इश्क़ में कम हुस्न-ए-इत्तिफ़ाक़ ऐसा

हँस के फूलों को वो करेंगे सुबुक

बुतान-ए-हिन्द मिरे दिल में हैं दर आए हुए

आप को खो के तुम को ढूँढ लिया

पेच दे ज़ुल्फ़-ए-अम्बरीं न कहीं

न होगा हश्र महशर में बपा क्या

क्यूँ हो न गिर के कासा-ए-तदबीर पाश पाश

क्या मिला क़ैस को गर्द-ए-रह-ए-सहरा हो कर

किस शेर में सना-ए-रुख़-ए-मह-जबीं नहीं

जफ़ा-पसंदों को सुनते हैं ना-पसंद हुआ

फ़िराक़ में ख़ून-ए-दिल हैं पीते शराब हम ले के क्या करेंगे

फ़ैसला क्या हो जान-ए-बिस्मिल का

ऐसी तश्बीह फ़क़त हुस्न की बदनामी है

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