ईरीना

ज़िंदा रहने के लिए

मुझे जो इलाक़ा दिया गया है

वही मेरा ईरीना है

मैं नय इस के चारों तरफ़

ख़ार-दार तारों की बाढ़ लगा रक्खी है

जिन में हर वक़्त

करन्ट गर्दिश करता रहता है

और मेरे कुत्ते

मेरे अलावा किसी की ख़ुशबू से मानूस नहीं

मैं इस दुनिया के बारे में

उन सब लोगों से

ज़ियादा जानता हूँ

जो हमेशा सफ़र करते रहते हैं

और कहीं नहीं जाता

मेरे पास एक एल्बम है

जिस में चंद बादलों के टुकड़े

ख़्वाब और लोगों के चेहरे

महफ़ूज़ हैं

या एक मरी हुई तितली

जिसे मेरे कुत्तों ने

मेरे क़दमों में ला के

डाल दिया था

मेरे पास एक कश्ती है

जो पानी की आवाज़ और लम्स से अजनबी है

और एक दरख़्त

जो हवा और आग के बारे में कुछ नहीं जानता

मेरे पास दोस्तों को देने के लिए

बहुत से तोहफ़े और मोहब्बत भरा दिल मौजूद है

और दुश्मनों के लिए एक तलवार

जिस की प्यास कभी नहीं बुझती

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Irina In Hindi By Famous Poet Zeeshan Sahil. Irina is written by Zeeshan Sahil. Complete Poem Irina in Hindi by Zeeshan Sahil. Download free Irina Poem for Youth in PDF. Irina is a Poem on Inspiration for young students. Share Irina with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.