मेरे दिल में अगर सकत होती
ये जहाँ एक गेंद की मानिंद
आसमाँ तक उछाल देता मैं
या किसी झील के किनारे पे
जा के पानी में डाल देता मैं
दूर मुझ से बहाओ की जानिब
तू अचानक इसे उठा लेती
और कोई गीत गुनगुनाते हुए
इक नया रास्ता बना लेती
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