ज़िंदगी खो नहीं गई लेकिन
ऐसा लगता है दिल के पास बहुत
एक बे-नाम सी उदासी है
एक बे-वज्ह सा अंधेरा है
आग जलती नज़र नहीं आती
रात ढलती नज़र नहीं आती
रह गुज़र है मगर तिरी ख़्वाहिश
राह चलती नज़र नहीं आती
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Anwar Masood
Jaun Eliya
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(864) Peoples Rate This
एक मंज़र की ख़ामोशी
छोटी सी बच्ची
नज़्म
हमें हर रोज़
जवाहर-लाल यूनवर्सिटी के तलबा के लिए
36
29
फूलों की अंजुमन में बहुत देर तक रहा
याद करने के ज़माने से बहुत आगे हैं
शायर