अब भी कुछ लोग सुनाते हैं सुनाए हुए शेर
बातें अब भी तिरी ज़ेहनों में बसी लगती हैं
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Wasi Shah
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Gulzar
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
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यूँ कहने को पैराया-ए-इज़हार बहुत है
क़ुर्बतों से कब तलक अपने को बहलाएँगे हम
तिरा ख़याल फ़रोज़ाँ है देखिए क्या हो
शाम का पहला तारा
एक पुरानी कहानी
अब तो कुछ ऐसा लगता है
गुल-चाँदनी
तन-ए-नहीफ़ से अम्बोह-ए-जब्र हार गया
वो न जाने क्या समझा ज़िक्र मौसमों का था
हमें तो आदत-ए-ज़ख़्म-ए-सफ़र है क्या कहिए
जुनून-ए-अव्वलीं शाइस्तगी थी
जो दिल ने कही लब पे कहाँ आई है देखो