बस्ती में कुछ लोग निराले अब भी हैं
देखो ख़ाली दामन वाले अब भी हैं
Parveen Shakir
Wasi Shah
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Habib Jalib
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Gulzar
Anwar Masood
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
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तुम से हासिल हुआ इक गहरे समुंदर का सुकूत
रुक जा हुजूम-ए-गुल कि अभी हौसला नहीं
बैठे बैठे कैसा दिल घबरा जाता है
आँगन
नया घर
कहानी गुल-ज़मीना की
इस रहगुज़र में अपना क़दम भी जुदा मिला
गर्दिश-ए-मीना-ओ-जाम देखिए कब तक रहे
सुल्ह जिस से रही मेरी ता-ज़िंदगी
आज की बात
छोटी सी बात पे ख़ुश होना मुझे आता था
ख़ुश जो आए थे पशेमान गए