कोई हंगामा सर-ए-बज़्म उठाया जाए
कुछ किया जाए चराग़ों को बुझाया जाए
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
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Wasi Shah
Anwar Masood
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
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नहीं नहीं हमें अब तेरी जुस्तुजू भी नहीं
आज की बात
पुल-सिरात
दीवानों को अब वुसअत-ए-सहरा नहीं दरकार
जाँ देना बस एक ज़ियाँ का सौदा था
मय-ए-हयात में शामिल है तल्ख़ी-ए-दौराँ
अपना हर अंदाज़ आँखों को तर-ओ-ताज़ा लगा
नक़्श की तरह उभरना भी तुम्ही से सीखा
एक लड़की
हर्फ़ हर्फ़ गूँधे थे तर्ज़ मुश्कबू की थी
तिरा ख़याल फ़रोज़ाँ है देखिए क्या हो
रात अजब आसेब-ज़दा सा मौसम था