नहीं नहीं हमें अब तेरी जुस्तुजू भी नहीं
तुझे भी भूल गए हम तिरी ख़ुशी के लिए
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जाँ देना बस एक ज़ियाँ का सौदा था
भूलना ख़ुद को तो आसाँ है भुला बैठा हूँ
जो दिल ने कही लब पे कहाँ आई है देखो
छोटी सी बात पे ख़ुश होना मुझे आता था
हर्फ़ हर्फ़ गूँधे थे तर्ज़ मुश्कबू की थी
हम लोग जो ख़ाक छानते हैं
कल रात ढले
गर्दिश-ए-मीना-ओ-जाम देखिए कब तक रहे
तुम से हासिल हुआ इक गहरे समुंदर का सुकूत
वो साथ न देता तो वो दाद न देता तो
अब भी कुछ लोग सुनाते हैं सुनाए हुए शेर
ये सच है यहाँ शोर ज़ियादा नहीं होता