रुक जा हुजूम-ए-गुल कि अभी हौसला नहीं
दिल से ख़याल-ए-तंगी-ए-दामाँ गया नहीं
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Gulzar
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1105) Peoples Rate This
भूलना ख़ुद को तो आसाँ है भुला बैठा हूँ
जो सुन सको तो ये सब दास्ताँ तुम्हारी है
गर्दिश-ए-मीना-ओ-जाम देखिए कब तक रहे
कहाँ के इश्क़-ओ-मोहब्बत किधर के हिज्र ओ विसाल
जो दिल ने कही लब पे कहाँ आई है देखो
देखो तो लगता है जैसे देखा था
छलक रही है मय-ए-नाब तिश्नगी के लिए
''अलिफ़'' और ''बे'' के नाम
शहर के एक कुशादा घर में
ये ख़ाल-ओ-ख़द मिरे अपने
क़ुर्बतों से कब तलक अपने को बहलाएँगे हम
हम लोग जो ख़ाक छानते हैं