आँखों में निहाँ है जो मुनाजात वो तुम हो

आँखों में निहाँ है जो मुनाजात वो तुम हो

जिस सम्त सफ़र में है मिरी ज़ात वो तुम हो

जो सामने होता है कोई और है शायद

जो दिल में है इक ख़्वाब-ए-मुलाक़ात वो तुम हो

दिन आए गए जैसे सराए में मुसाफ़िर

ठहरी रही आँखों में जो इक रात वो तुम हो

हर बात में शामिल हैं तसव्वुर के कई रंग

हर रंग-ए-तसव्वुर में है जो बात वो तुम हो

जब धूल हुए राह-ए-सफ़र में तो ये जाना

मंज़िल-गह-ए-जाँ हैं जो मक़ामात वो तुम हो

दुख हद से जो गुज़रा तो खुला दिल पे कि यूँ भी

दर-पर्दा है जो महव-ए-मुदारात वो तुम हो

दिल-जूई का अंदाज़ भी नरमी भी वही है

सीने पे हवा रखती है जो हात वो तुम हो

बाक़ी तो अंधेरे ही मुहीत-ए-दिल-ओ-जाँ हैं

महर-ओ-मह-ओ-अंजुम हैं जो लम्हात वो तुम हो

हाँ मुझ पे सितम भी हैं बहुत वक़्त के लेकिन

कुछ वक़्त की हैं मुझ पे इनायात वो तुम हो

(1496) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Aankhon Mein Nihan Hai Jo Munajat Wo Tum Ho In Hindi By Famous Poet Zia Jalandhari. Aankhon Mein Nihan Hai Jo Munajat Wo Tum Ho is written by Zia Jalandhari. Complete Poem Aankhon Mein Nihan Hai Jo Munajat Wo Tum Ho in Hindi by Zia Jalandhari. Download free Aankhon Mein Nihan Hai Jo Munajat Wo Tum Ho Poem for Youth in PDF. Aankhon Mein Nihan Hai Jo Munajat Wo Tum Ho is a Poem on Inspiration for young students. Share Aankhon Mein Nihan Hai Jo Munajat Wo Tum Ho with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.