मोच आई पैर में कुछ दिन करें आराम वो
आज के अख़बार में एलान जारी हो गया
इक बड़े अख़बार ने छापी ख़बर ये इस तरह
एक क़ौमी रहनुमा का पैर भारी हो गया
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Gulzar
Wasi Shah
Anwar Masood
Habib Jalib
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(818) Peoples Rate This
मुझे अपनी बीवी पे फ़ख़्र है मुझे अपने साले पे नाज़ है
मैं जिसे हीर समझता था वो राँझा निकला
सर-ए-बज़्म मुझ को उठा दिया मुझे मार मार लिटा दिया
बंगला और बीवी
भारी पैर
दिल के ज़ख़्मों पे वो मरहम जो लगाना चाहे
मैं शिकार हूँ किसी और का मुझे मारता कोई और है
कूचा-ए-यार में मैं ने जो जबीं-साई की
लाटरी
मिरे रोब में तो वो आ गया मिरे सामने तो वो झुक गया
सफ़र हो रेल-गाड़ी का तो छके छूट जाते हैं
घर से बाहर