ज़िया ज़मीर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ज़िया ज़मीर

ज़िया ज़मीर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ज़िया ज़मीर
नामज़िया ज़मीर
अंग्रेज़ी नामZia Zameer
जन्म की तारीख1977

उस को जाते हुए देखा था पुकारा था कहाँ

कुछ ज़ुल्म ओ सितम सहने की आदत भी है हम को

कैसी ताबीर की हसरत कि 'ज़िया' बरसों से

दर्द की धूप ढले ग़म के ज़माने जाएँ

ज़िंदगी से थकी थकी हो क्या

ज़र्द पत्ते थे हमें और क्या कर जाना था

ये तो हाथों की लकीरों में था गिर्दाब कोई

उस को जाते हुए देखा था पुकारा था कहाँ

तक रहा है तू आसमान में क्या

सफ़र मुझ पर अजब बरपा रही है

रेज़ा रेज़ा तिरे चेहरे पे बिखरती हुई शाम

राहत-ए-वस्ल बिना हिज्र की शिद्दत के बग़ैर

माना कि यहाँ अपनी शनासाई भी कम है

जो रिश्तों की अजब सी ज़िम्मेदारी सर पे रक्खी है

जिस तरह प्यासा कोई आब-ए-रवाँ तक पहुँचे

जीने में आसानी रख

जाँ का दुश्मन है मगर जान से प्यारा भी है

इतनी शिद्दत से गले मुझ को लगाया हुआ है

इश्क़ जब तुझ से हुआ ज़ेहन के जुगनू जागे

हँसते हँसते भी सोगवार हैं हम

इक दर्द का सहरा है सिमटता ही नहीं है

दर्द की शाख़ पे इक ताज़ा समर आ गया है

दर्द की धूप ढले ग़म के ज़माने जाएँ

बड़े सलीक़े से तोड़ा मिरा यक़ीन उस ने

अब तो आते हैं सभी दिल को दुखाने वाले

आख़िरश कर लिया क़ुबूल हमें

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