अभी मुझ से किसी को मोहब्बत नहीं हुई

अभी मुझ से किसी को मोहब्बत नहीं हुई

सो दिल के बाग़ में फूल भी नहीं खिले

मुझे हर औरत के सीने पर पिस्तान

और रानों के बीच क़ौस नज़र आती है

अभी मोहब्बत शुरूअ नहीं हुई

मैं हर हम-बिसतरी के ब'अद बेज़ार हो जाता हूँ

और फिर से उस काम के लिए तयार हो जाता हूँ

मैं पिस्तानों और रानों में

मोहब्बत तलाश करने के कार-ए-बे-सूद में मसरूफ़ हूँ

मोहब्बत के मौसम तक

इशरत के रस्ते जाया जा सकता

तो मैं कब का पहुँच गया होता

नज़र करता हूँ तो लगता है

ज़िंदगी से कुछ और भी दूर निकल आया हूँ

मुझे मौत से डर लगने लगा है

क्यूँकि अभी मुझ से किसी को मोहब्बत नहीं हुई

क़त्ल-ए-आम जारी है

अगले पड़ाव तक

कार-ए-मोहब्बत मौक़ूफ़ कर दिया गया है

क़िस्मत को काग़ज़ के टुकड़ों

और बारूद से मुंसलिक कर दिया गया है

आबादी का मसअला दरपेश है

मोहब्बत को किसी फ़ारिग़ वक़्त पर उठा दिया गया है

बहार आने तक

ये मौसम तो तय करना पड़ेगा

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