किसी भूके से मत पूछो मोहब्बत किस को कहते हैं
कि तुम आँचल बिछाओगे वो दस्तर-ख़्वान समझेगा
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बैठे-बैठे इक दम से चौंकाती है
कोई तितली निशाने पर नहीं है
आज तो दिल के दर्द पर हँस कर
तुम्हारा सिर्फ़ हवाओं पे शक गया होगा
उस के ख़त रात भर यूँ पढ़ता हूँ
बिछड़ कर भी हूँ ज़िंदा रहने वाला
अब उस का वस्ल महँगा चल रहा है
एक पहुँचा हुआ मुसाफ़िर है
हमारा दिल तो हमेशा से इक जगह पर है
वैसे तू मेरे मकाँ तक तू चला आता है
इस दर का हो या उस दर का हर पत्थर पत्थर है लेकिन