लोग कहते हैं यहाँ एक हसीं रहता था
लोग कहते हैं यहाँ एक हसीं रहता था
सर-ए-आईना कोई माह-जबीं रहता था
वो भी क्या दिन थे कि बर-दोश-ए-हवा थे हम भी
आसमानों पे कोई ख़ाक-नशीं रहता था
मैं उसे ढूँडता फिरता था बयाबानों में
वो ख़ज़ाने की तरह ज़ेर-ए-ज़मीं रहता था
फिर भी क्यूँ उस से मुलाक़ात न होने पाई
मैं जहाँ रहता था वो भी तो वहीं रहता था
जाने 'फ़ारूक़' वो क्या शहर था जिस के अंदर
एक डर था कि मकीनों में मकीं रहता था
(1039) Peoples Rate This