सुनते हैं जो हम दश्त में पानी की कहानी
आज़ार का आज़ार कहानी की कहानी
दरिया तो कहीं ब'अद में दरयाफ़्त हुए हैं
आग़ाज़ हुई दिल से रवानी की कहानी
सुनता हो अगर कोई तो 'आदिल' वो दर-ओ-बाम
कहते हैं मिरी नक़्ल-ए-मकानी की कहानी
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ये मेज़ ये किताब ये दीवार और मैं
हम जाना चाहते थे जिधर भी नहीं गए
'आदिल' सजे हुए हैं सभी ख़्वाब ख़्वान पर
बैठे बैठे इसी ग़ुबार के साथ
यूँ जो पलकों को मिला कर नहीं देखा जाता
हमें यूँही न सर-ए-आब-ओ-गिल बनाया जाए
बड़ी मुश्किल कहानी थी मगर अंजाम सादा है
रवानी में नज़र आता है जो भी
मैं जहाँ था वहीं रह गया माज़रत
इक नफ़स नाबूद से बाहर ज़रा रहता हूँ मैं
किसी का ख़्वाब किसी का क़यास है दुनिया