ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश

ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश
नामज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश
अंग्रेज़ी नामZulfiqar Ahmad Tabish

ये दर-ओ-दीवार पर बे-नाम से चुप-चाप साए

पेड़ों की घनी छाँव और चैत की हिद्दत थी

किस का चेहरा ढूँडा धूप और छाँव में

हमारे शहर में आने की सूरत चाहती हैं

ये शोर-ओ-शर तो पहले दिन से आदम-ज़ाद में है

वो सानेहा हुआ था कि बस दिल दहल गए!

पेड़ों की घनी छाँव और चैत की हिद्दत थी

नदी किनारे बैठे रहना अच्छा है

कुछ गुनह नहीं इस में ए'तिराफ़ ही कर लो

कातता हूँ रात-भर अपने लहू की धार को

इन लबों से अब हमारे लफ़्ज़ रुख़्सत चाहते हैं

हम ने सारे हर्फ़ लिखे तो किस के लिए

हमारे शहर में आने की सूरत चाहती हैं

बे-सबात सुब्ह शाम और मिरा वजूद

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