ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
नामज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी
अंग्रेज़ी नामZulfiqar Ali Bukhari
जन्म की तारीख1904
मौत की तिथि1975

मेरे ग़म की तल्ख़ियों का इस से कुछ अंदाज़ा कर

जिस राह से उठा हूँ वहीं बैठ जाऊँगा

बेश-तर ख़ुदा पाया और बरमला पाया

ज़िंदगी आज़ार थी आज़ार है तेरे बग़ैर

ज़िंदगी आज़ार थी आज़ार है तेरे बग़ैर

वो कहते हैं कि हम को उस के मरने पर तअ'ज्जुब है

रास आने लगी थी तन्हाई

गुम-कर्दा-राह ख़ाक-बसर हूँ ज़रा ठहर

बसाई मैं ने जो क़ल्ब-ए-हज़ीं में

बसाई मैं ने जो क़ल्ब-ए-हज़ीं में

आता है नज़र अंजाम कि साक़ी रात गुज़रने वाली है

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