अश्क ढलते नहीं देखे जाते
दिल पिघलते नहीं देखे जाते
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Gulzar
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(862) Peoples Rate This
हर इक रस्ते पे चल कर सोचते हैं
फूल के लायक़ फ़ज़ा रखनी ही थी
इक सैल-ए-बे-पनाह की सूरत रवाँ है वक़्त
सजाते हो बदन बेकार 'जावेद'
चाँदनी का रक़्स दरिया पर नहीं देखा गया
देखते हम भी हैं कुछ ख़्वाब मगर हाए रे दिल
याद यूँ होश गँवा बैठी है
हर लम्हा मर्ग-ओ-ज़ीस्त में पैकार देखना
जब थी मंज़िल नज़र में तो रस्ता था एक
यक़ीं का दाएरा देखा है किस ने
आप के जाते ही हम को लग गई आवारगी