आईना क्या किस को दिखाता गली गली हैरत बिकती थी
नक़्क़ारों का शोर था हर सू सच्चे सब और झूटा मैं
Rahat Indori
Parveen Shakir
Anwar Masood
Wasi Shah
Gulzar
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(727) Peoples Rate This
टूटे शीशे की आख़िरी नज़्म
ऐसी बेगानगी नहीं देखी
इश्क़ की सारी बातें ऐ दिल पागल-पन की बातें हैं
क्या ख़बर थी कि कभी बे-सर-ओ-सामाँ होंगे
चराग़-ए-हसरत-ओ-अरमाँ बुझा के बैठे हैं
तूफ़ान नई तरह उठा देखें तो
उस ने कहा!
आज़मा लो कि दिल को चैन आए
हम मिलें या न मिलें फिर भी कभी ख़्वाबों में
फिर अपनी तमन्नाओं का धागा टूटा
सड़कों पे तिरी फिरता था मारा मारा