ये ज़ाफ़रानी पुलओवर उसी का हिस्सा है
कोई जो दूसरा पहने तो दूसरा ही लगे
Rahat Indori
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Gulzar
Allama Iqbal
Wasi Shah
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1379) Peoples Rate This
ये ज़र्द पत्तों की बारिश मिरा ज़वाल नहीं
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें
इक शाम के साए तले बैठे रहे वो देर तक
दिल उजड़ी हुई एक सराए की तरह है
तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा है
तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा
वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है
हक़ीक़तों में ज़माना बहुत गुज़ार चुके
वो चेहरा किताबी रहा सामने
किसी की याद में पलकें ज़रा भिगो लेते
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में