ख़ाक करती है ब-रंग-ए-चर्ख़-ए-नीली-फ़ाम रक़्स

ख़ाक करती है ब-रंग-ए-चर्ख़-ए-नीली-फ़ाम रक़्स

हर दो-आलम को तिरा रखता है बे-आराम रक़्स

देखिए पीरी का हाल और देखिए रीश-ए-सफ़ेद

शैख़ साहब ना-मुनासिब है ये बे-हंगाम रक़्स

अबलक़-ए-चश्म-ए-बुताँ की शोख़ियाँ चकरा गईं

आसमाँ पर मेहर-ओ-मह करते हैं सुब्ह-ओ-शाम रक़्स

हो हक़ीक़ी या मजाज़ी इश्क़ की हालत न पूछ

ख़ानका में मय है और मय-ख़ाने में बदनाम रक़्स

सौमिआ' में वज्ह-ए-सद-तहसीं हुआ सूफ़ी का हाल

मय-कदे में आन कर क्यूँ हो गया बदनाम रक़्स

नर्गिस-ए-मख़मूर-ए-जानाँ डाल देती गर निगाह

मर्दुम-ए-चश्म-ए-बुताँ की तरह करता जाम रक़्स

आशिक़ाँ अबरू-ए-बुत की है ताअ'त इज़्तिराब

थी नमाज़ अहल-ए-हरम जब तक न था इस्लाम रक़्स

गिर्द फिरता हूँ जो इस बर के तो वाइ'ज़ क्या हुआ

तौफ़ में करता है तू भी बाँध कर एहराम रक़्स

बहर में गिर्दाब है और दश्त में है गर्द-बाद

ख़ुश्क-ओ-तर में है तिरी शोख़ी से ऐ गुलफ़ाम रक़्स

शोख़ ने बरहम निज़ाम-ए-महफ़िल-ए-इम्काँ किया

ख़ाक ने छेड़ा है गर्दूं ने लिया है थाम रक़्स

पाएमाल-ए-ग़म पिसे जाते हैं सुरमे की तरह

ले उड़ी किस के क़दम से गर्दिश-ए-अय्याम रक़्स

तेरी शोख़ी से तिरी रफ़्तार से ऐ रश्क-ए-बाग़

चौकड़ी भोला हिरन ताऊस-ए-गुल-अंदाम रक़्स

ऐश जावेद उन को हासिल है जो हैं तेरी तरफ़

ताएर-ए-क़िबला-नुमा करता है सुब्ह-ओ-शाम रक़्स

(744) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

KHak Karti Hai Ba-rang-e-charKH-e-nili-fam Raqs In Hindi By Famous Poet Bayan Meeruti. KHak Karti Hai Ba-rang-e-charKH-e-nili-fam Raqs is written by Bayan Meeruti. Complete Poem KHak Karti Hai Ba-rang-e-charKH-e-nili-fam Raqs in Hindi by Bayan Meeruti. Download free KHak Karti Hai Ba-rang-e-charKH-e-nili-fam Raqs Poem for Youth in PDF. KHak Karti Hai Ba-rang-e-charKH-e-nili-fam Raqs is a Poem on Inspiration for young students. Share KHak Karti Hai Ba-rang-e-charKH-e-nili-fam Raqs with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.